गज़ल


बात का अब क्या कहना
दिल की कह गया कोई

मिल गयी उसको मंजिल
टूट  कर रह गया कोई

दोस्त ही ना रहा अपना
फिर भी सह गया कोई

बूँद भर भी नहीं बरसी
बाढ़ में  बह गया कोई

ईंट बस एक वहां सरकी
बाँध फिर ढह गया कोई


1 comment:

How do we know said...

wah!! bahut bahut khoobsoorat!